गुरुवार, 11 नवंबर 2021

आखिर क्यों Facebook ने बदला अपना नाम ? फेसबुक का नया नाम क्या हैं। Meta क्या है।

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आखिर क्यों Facebook ने बदला अपना नाम ? फेसबुक का नया नाम क्या हैं। Meta क्या है।

हेलो दोस्तों मैं हूं संदीप और आज की इस ब्लॉग के माध्यम से हम बताने जा रहा हूं कि आखिर क्यों Facebook ने बदला अपना नाम ? 

 जाने के लिए कंप्लीट ब्लॉग पढ़ें। 


फेसबुक एक सोशल नेटवर्किंग साइट है जो आपके लिए परिवार और दोस्तों के साथ ऑनलाइन जुड़ना और साझा करना आसान बनाती है। मूल रूप से कॉलेज के छात्रों के लिए डिज़ाइन किया गया, फेसबुक 2004 में मार्क जुकरबर्ग द्वारा बनाया गया था, जब वह हार्वर्ड विश्वविद्यालय में नामांकित थे। 2006 तक, 13 वर्ष से अधिक आयु का कोई भी व्यक्ति जिसके पास वैध ईमेल पता हो, वह फेसबुक से जुड़ सकता था। आज, फेसबुक दुनिया का सबसे बड़ा सोशल नेटवर्क है, जिसके दुनिया भर में 1 बिलियन से अधिक उपयोगकर्ता हैं।


यह तो हम सभी जानते हैं कि फेसबुक अपने नाम को बदलने की घोषणा कर चुका है 28 अक्टूबर की रात को फेसबुक के फाउंडर मार्क जकरबर्ग ने समन जारी करते हुए कहा कि फेसबुक अपना रेब्रांड कर रहा है या नहीं अब आप अगर facebook.com के जगह meta.com के नाम से सर्च करेंगे । तो आपसे फेसबुक पर ही जाएंगे और आप लोग इंतजार कर रहे हैं। कब उनकी फेसबुक का नाम बदलकर meta हो जाएगा हलकी Facebook के जो बाकी WhatsApp और Instagram ओपन होन पार powered by Facebook की जग पर meta लिख हुआ आने लगेगा। पर फेसबुक का नाम अभी तक क्यों नहीं चेंज हुआ? 

  दोस्त आप इंतजार करना छोड़ दीजिए। मुझे फेसबुक ऐप का नाम कभी meta नहीं होगा। लेकिन ऐसा क्यों क्या फेसबुक में असल कहानी से बिल्कुल अलग है। जरा यह समझिए फेसबुक जो एक एप्लीकेशन है। नाम से फेसबुक कंपनी भी है जो उस कंपनी के नाम को रीब्रांड करने की बात मार्क जकरबर्ग ने कही है। उसको उतारने के लिए हमें शुरुआत करनी होगी गूगल से। गूगल आज से करीब 30 साल पहले यानी 1998 में आया था या प्रोडक्ट मार्केट में बहुत कारगर साबित हुआ है जैसा कि गूगल के कई नए प्रोडक्ट के एप्लीकेशन पर गूगल से यूट्यूब गूगल, मैप और गूगल के अनगिनत गूगल खुद प्रोडक्ट तथा हिताची कंपनी का नाम भी गूगल ही था। जब गूगल कि इतने पब्लिकेशंस मार्केट में आए जब गूगल कंपनी ने सोचा हमने इसकी पैरंट कंपनी तो बना ही नहीं, क्योंकि 2015 में गूगल की पैरंट कंपनी अल्फाबेटाइज गूगल के नाम को rebrand करा फेसबुक जिसकी अब व्हाट्सएप पर इंस्टाग्राम जैसी मशहूर कंपनियां है। उस कंपनी के नाम को फेसबुक से meta कर दिया। सीजन में एक नए युग की शुरुआत हो सके और चक्र पर ने अपने स्टेटमेंट में meta को समझाते हुए कहा कि मेरा का अर्थ है सोच से परे कंपनी के नाम के रिजल्ट में आज जो संभव है।

लेकिन कंपनी के नाम को बदलने की जरूरत क्यों है? Meta नाम से मार्किट फ्यूचर प्लानिंग का भी पता चलता है। समस्त लोगों ने meta वर्ष के बारे में सुना होगा। 

अगर नहीं तो आपने नील स्टीफेंसन लिखी snow crash की 1992 में लिखेंगे ना वाले इसका इंस्पेक्शन के बारे में लिखा है और चावल के करके उसको नाम दिया था। Meta बढ़िया सोशल मीडिया के जरिए ही मेरी दुनिया का निर्माण करते हैं। मार्क जकरबर्ग कहते हैं कि अगर हम सोच ली meta दुनिया में चले जाएंगे तो हम में टावर स्कोर रियल लाइफ से जुड़ सकते हैं या नहीं तो चल मीडिया के में टावर तकनीक से। सोशल साइंस के सामने देख सकते हैं। फिर वो चाहे रियालिटी में आपसे कितना भी दूर बैठा हूं। यानी एक वर्चुअल दुनिया का निर्माण। लेकिन यह सब पॉसिबल कैसे होगा, उसको एक एग्जांपल के जरिए समझते हैं। मान लीजिए। आपको यूनिवर्स के बारे में स्टडी करनी है। मैडम वर्ष की दुनिया के माध्यम से इसका अध्ययन करना चाहते हैं तो सिंपली आपको अपनी आंखों पर एक थ्रीडी चश्मा पहनना होगा। यूनिवर्स आपके सामने ऐसे होगा जैसे आप यूनिवर्स में। जानकारी भी आपको मिलेगी बस आपको इमेजिन करना है और आप दुनिया के किसी भी कोने में वसूली जा सकते हैं। 

एग्जांपल के जरिए समझते हैं मान लीजिए, आपको यूनिवर्स के बारे में स्टडी करनी है और आप मैडम वर्ष के दुनिया के माध्यम से इसका अध्ययन करना चाहते हैं तो सिंपली आपको अपनी आंखों पर एक थ्रीडी चश्मा पहनना होगा और यूनिवर्स आपके सामने यूनिवर्स में साथ ही उससे जुड़े जानकारी भी आपको मिलेगी। बता दो इमेजिन करना है और आप कॉलेज आफ मैनेजमेंट से बातचीत और वैसे जैसे वह आमने-सामने ही बैठे हो। आप जैसे ही इस चश्मे को पहनेंगे। वर्चुअल दुनिया में पहुंच जाएंगे। आप कहां हो रही चीजों? 


यहां तक कि वहां के लोग भी आपको देख सकते हैं। इससे याद तो साबित होता है कि यह कोई कैमरा नहीं है। सामने एक तस्वीर बनी कफन की जगह जाना चाहते हैं। वहां के लोग भी आपको देख सकेंगे। सब कुछ मिटा वर्ष की दुनिया में एचडी मूवी देखते लगाए जाने वाले चश्मे की तरह है। यार हैंडसेट की तरह जा रियल वर्ल्ड में ना होकर रियल वर्ल्ड में चले जाते हैं, लेकिन टेक्नोलॉजी इससे भी आगे हैं। अब आप रियल वर्ल्ड में ही रेल का अनुभव करेंगे। लेकिन यह सब इतना आसान नहीं है। आज तक हम जितने भी एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर और टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रहे थे। एडमिन था लेकिन अगर हमें में दावत की दुनिया में कदम रखना है तो हमें इस पूरी दुनिया को 3D डिजाइन करना होगा। ना इतने बड़े लेवल पर है कि आज तक हम जितनी भी चीजों को टुडे मेंशन में देखते हैं। अब हमें उन सभी चीजों को काट जामिन संकीर्ण नजरिए से देखना होगा कि कल आएगी की दुनिया पर काम कर रहा है। फेसबुक लेकिन क्या फेसबुक के अलावा किसी और कंपनी को नहीं आया, ऐसा नहीं है। माइक्रोसॉफ्ट इसी आईडी पर काम कर रहा है। माइक्रोसॉफ्ट का भी प्रोग्राम चालू है। वही गूगल का प्रोजेक्ट चार लाइन है। इसी का मित्र है वीडियो कॉल, लेकिन अभी तक गूगल की टेक्नोलॉजी पूरी तरह उभर कर नहीं आई है और इस पर कुछ लोगों का कहना है कि फेसबुक अपनी इमेज सुधारने के लिए ऐसा कदम उठा रहा है जो कि हाल ही में ही फेसबुक के पूर्व फ्रांस ने फेसबुक को लेकर एक बड़ा खुलासा किया है। मार्केट में फेसबुक को लेकर कौन सी होने लगी है, इसको बढ़ावा देता है। लोगों के बीच लाइक और शेयर का दबाव बनाता है। मान लीजिए, आपको किसी चीज से नफरत है तो फेसबुक ऐसे पोस्ट आपके सामने लाएगा ताकि आप उस पर अपनी नफरत निकाल सकता और बात को साबित करने के लिए फ्रांस ने बकायदा डॉक्यूमेंट को दुनिया के सामने बेपर्दा कर दिया। सर से मीडिया से बातचीत में यह भी बताया कि व्हाइट हाउस स्पेक्ट्रम की वजह से जनता ने हमला कर दिया था। उस नेट स्पीड को फेसबुक में कैसे बढ़ावा दिया, उसे बार-बार फेसबुक पर दिखाया गया ताकि लोग ज्यादा समय फेसबुक पर बताएं। फेसबुक की प्रॉपर्टी स्ट्रैटेजी ही आई है। क्या प्यार है फ्रांस और जिनका लेकिन फेसबुक ने इस बयान को बेबुनियाद बताया है जो फेसबुक के इंटरनल मामले हैं जो दुनिया के साथ रखा गया है। वह मीठा बस कमीशन जल्दी बनाने में अभी काफी सालों का समय लगेगा और शायद हो सकता है। हम फ्यूचर में ऐसी दुनिया में जाएं।

          उम्मीद करते हैं आपने इस ब्लॉग से कुछ ना कुछ नया जरूर सीखा होगा।

अगर हां तो








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