गुरुवार, 16 मार्च 2023

अमेरिका भारत के UPI से नफरत क्यों करता है? UPI New Feature Explained

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अमेरिका भारत के UPI से नफरत क्यों करता है? यूपीआई की नई विशेषता की व्याख्या

अमेरिका भारत के UPI से नफरत क्यों करता है? यूपीआई की नई विशेषता की व्याख्या

UPI अपना समग्र बाजार हिस्सा बढ़ाने में गेम चेंजर साबित हो रहा है। सभी लेन-देन में 100% सफलता दर के साथ लगभग अपरिवर्तनीय व्यवहार। यूपीआई के कारण भारत का वित्तीय क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा है लेकिन यूके और यूएसए जैसे अन्य देश दुविधा में हैं। यह तकनीकी पहल वीजा और मास्टरकार्ड के लिए एक मजबूत प्रतिस्पर्धा है और पूरी दुनिया में प्रचलित है।


इस ब्लॉग में संदीप यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस के बारे में संक्षेप में बताएंगे। UPI की तत्काल रीयल-टाइम भुगतान प्रणाली और इसे कैसे विकसित किया गया? वह कुछ सवालों के जवाब भी देंगे:-

  • यूपीआई क्या है?

  • यूपीआई कैसे विकसित किया गया था?

  • UPI दुनिया पर कैसे हावी होगा?

  • कैसे यूपीआई की बोल्ड बिजनेस रणनीति वीज़ा और मास्टरकार्ड को खत्म कर देगी?

  • भारतीय अर्थव्यवस्था पर UPI का प्रभाव?

  • भारत में डिजिटल भुगतान का इतिहास?

  • भारत में डिजिटल भुगतान का विकास?


अमेरिका भारत के UPI से नफरत क्यों करता है?

आजादी के बाद का सबसे बड़ा क्रांतिकारी UPI नाम याद है, ये टैग है जिसने अमेरिका को बुरी तरह से मारा है, ये वो वोट है जिसकी वजह से भारत आर्थिक जगत में डंक मारने वाला है, कैसी है हमारे डिजिटल इंडिया वीसा मास्टर कार्ड की ये पहल Upi  जैसी कंपनी कम्पटीशन दे रही है या क्या है, किसने बनाया, क्यों बनाया, भारत का नाम UPI, UPI, UPI क्यों रखा जा रहा है, अमेरिका क्यों डर रहा है, Visa Master Card की स्थिति क्यों खराब हो रही है, आप जानिए इस ब्लॉग में। आम आदमी की आम भाषा में, क्योंकि यह website आम आदमी, व्यापार और वित्त, अर्थशास्त्र के लिए है इन सब चीजों में रुचि रखते हैं तो चैनल को सब्सक्राइब कर लें क्योंकि पैसा बहुत है भाई 


यूपीआई आखिर है क्या ?

सर UPI एक तरह की पेमेंट मेथेड है आप बोलोगे की RTGS , NEFT IMPS ये सब थे सही UPI की जरूरत क्यों नहीं एक जरूरत के हिसाब से सिस्टम लाया गया 


सबसे पहले आरबीआई ने साल 2000 में लाया कि जिस भी व्यक्ति को 2 लाख से ऊपर का ट्रांजैक्शन करना है उसे ट्रांसफर करना है,

उसके लिए तुरंत RTGS लाया लेकिन फिर लोगों ने कहा सर अगर आप ₹2 लाख से कम डालते हैं तो क्या करें, RBI ने कहा अरे वो भी कुछ करना है, 

तो उसके लिए NEFT लाया, ₹2 लाख से कम देना है तो करो, लेकिन अभी कोई ₹2 लाख से कम दे रहा है, 

अगर कोई 10000 दे रहा है, कोई 5000 दे रहा है तो भाई क्या करें? कहां कम करें, 30-30 मिनट के बैच में करेंगे तो पेमेंट 2 लाख से कम हो जाएगा, लेकिन एक बार मैं नीचे डायरेक्ट नहीं करूंगा, तो 30 मिनट तक इंतजार करना पड़ेगा, 

लेकिन फिर डिमांड जनता का मत था कि मुखिया ₹2 लाख से कम होना चाहिए। करना है तो आधे घंटे का भी इंतजार मत करो, जल्दी करना है तो आरबीआई ने कहा भाई, अगर तुम कुछ करना है

तो 2008 में RBI ने एक अलग संस्था बनाई थी NPCI National Payment Council of India तो उन्होंने कहा भाई कुछ तो करो फिर उन्होंने कहा 2010  में एक प्लेटफॉर्म है इसको बनाने लेंगे बेस इस आधार पर ये लोग ट्रांसफर कर सकते हैं इसलिए IMPS के आने के बाद आप अपने मोबाइल की मदद से तुरंत 2 लाख से कम का ट्रांजैक्शन कर सकते हैं और जल्दी कर सकते हैं।

 

  1. बोले साहब, जब साड़ी सुविधा हो गई, तो जरूर सर, उसमें नकल थी, एक आप व्यापारी को भुगतान नहीं कर पाए, आप ऐसा भुगतान कर रहे हैं। अब से आप ₹10, ₹20, ₹50 करते हैं वो ये नहीं कर सकते थे, स्कैन करने की सुविधा नहीं थी, 


  1.  दूसरा ये सब करने से पहले आपको फायदेमंद भी जोड़ना होता है, उसमें आधे घंटे का समय बर्बाद हो जाता है, तब किसी ने कहा है।

 

कोई ऐसी चीज हो जिसमें किसी लाभार्थी की जरूरत न हो और यह दुकान पर कपड़े, जूते, कपड़े के भुगतान की मंचीय व्यवस्था है 

तो यह एनपीटी है, जो 2008 में बनी थी, जिसने आईएमपीएस की शुरुआत की . कई अपग्रेड वर्जन लॉन्च किए, जिन्हें हम यूपीआई के नाम से जानते हैं, 

UPI को किसने बनया है 

इसे रघुराम राजन और दिलीप एस दोनों की दिमागी उपज माना जाता है। अपग्रेड वर्जन साड़ी की बात एक ही है लेकिन इसमें क्या अलग  दिया गया है, एक सोशल आईडी बनाई गई है जो जिसे आपकी यूपीआई आईडी कहा जाता है, उस आईडी के बीच से आप किसी भी व्यक्ति को तुरंत भुगतान कर सकते हैं, 

आप 24&7 उपभोग कर सकते हैं, कोई शुल्क नहीं लगाया जाएगा और मर्चेंट बैंकर किसी से शुल्क नहीं लेगा।


 ₹10 जब आप आसानी से ₹5 कर सकते हैं, अब सर, 2016 में UPI कब लॉन्च हुआ और 2022 में, यह बहुत तेज़ है। डिजिटल पेमेंट के मामले में दीया बनी दुनिया में नंबर वन, एक महीने में 100  करोड़ से ज्यादा ट्रांजैक्शन करती चली गईं, UPI की वजह से ये कैसे मुमकिन हुआ और क्यों ये इतना पॉपुलर हो गया क्योंकि देखिए पहले ये 20/7 चलती थी , तुरन्त भुगतान करते थे। पैसा खर्च नहीं हो रहा था, उसमें इंटरऑपरेबिलिटी फीचर नहीं  था,


 इंटरऑपरेबिलिटी का फीचर क्या होता है

  अगर आप पेटीएम है, तो पेटीएम वाला कोई पहले भुगतान कर सकता था, अब मां, तुम पेटीएम लेकर घूम रही हो, दुकानदार ने जीपी लगा दी, अब क्या करोगे, उसने कहा इंट्रोसिबिलिटी है, कोई बात नहीं, भाई, पेटीएम से चाय ले आओ मेरे पास आ जाओ दोस्त, गूगल पर, GPAY फोन पर, लेन-देन आसानी से हो जाएगा, और एक रुपया भी नहीं लगेगा।

 

कुछ चीजें हुईं साथ में कुछ ऐसी घटनाएं भी हुईं जो भले ही सामान्य न हों लेकिन इसका फायदा बहुत जल्दी मिला इसे अगस्त 2016 में कुछ डर के बाद 2016 में लॉन्च किया गया। इंटरनेट हाथ में दे दिया, सबके पास इंटरनेट है, उसमें और बढ़ावा मिला है ना? 16 नवंबर को सबसे ज्यादा बढ़ावा मिला नोटबंदी का, नोटबंदी हो गई, भाई आपके पास एक ही विकल्प बचा था, तो इससे UPI को फैलाने को एक और बढ़ावा मिला, क्या मजे की बात है 


सरकार बोले, हम पर भरोसा करेंगे, पता नहीं पहले नहीं तो पहले कैसे हैं पुरी ब्यूरो, प्राइवेट कंपनी कम कर दी कि आप यूपीआई में कंफर्टेबल हैं, लोगों को टेंशन न हो, 


सबसे पहले कल लोगों को फोन किया तेज सितंबर 2017 में आया था, तेज नाम सुना है, आपने उसे लिया होगा जिसका नाम बादल है, अब वह Google पर GP बन गया है, उसे Google से कहा, आप मुझे कम में ले लो, अब Googइतनी बड़ी गंदी कंपनी है, दुनिया भर का पैसा ढेर सारे ढाबे खोलकर दुनिया भर में मार्केटिंग की जाती थी, इसलिए UPI फेल हो गया।

 

17 नवंबर को पेटीएम ने कहा, मैं भी लूंगा भाई, आप भी ले लीजिए, तो यूपीआई ने साड़ी कंपनियों की सहूलियत के लिए क्या किया? 


पहले सरकार प्रचार करती थी, अब ये साड़ी कंपनियाँ दूध का प्रचार कर रही हैं, करना आसान है, मुफ़्त है और यह विफल नहीं है, इसके प्रसार की सीमा देखिए, दिल्ली में UPI के 22 करोड़ लेनदेन हैं और यह है स्थायी, जो इसका सकल बाजार मूल्य है। 10 लाख करोड़ से ऊपर की बात है, कुछ ऐसा भी है, यूपीआई फेल हो गया, फेल हो गया, फूल गया, मौज हो गई, अब यूपीआई पर हमारे विषय पर आते हैं, 


यूपीआई लॉन्च करते हैं। 

अब आप बोलेंगे ,संदीप जी, चलिए यूपीआई लॉन्च करते हैं। हम इसे कम में ले रहे हैं, अमेरिका बैठे-बैठे क्यों भाग रहा है, इसका कारण सुनिए,

अमेरिका शुरू से ही वित्तीय दुनिया का बादशाह रहा है, यह आप सभी जानते हैं क्योंकि इसके पास ई-डॉलर है, जिसका बॉक्स अच्छा है, कई हैं स्विफ्ट टेक्नोलॉजी जैसी तकनीकें, यह इसका अंतरराष्ट्रीय भुगतान है यदि आप इसे करना चाहते हैं तो भी यह अभी भी कम से कम है, तो हमेशा वित्तीय नीति के बारे में बात करें, चाहे आप आईटी या प्रौद्योगिकी की बात करें, यह हमेशा प्रभावी रहा है, अब यह है कारण है कि भारत जैसे विकासशील देश का जन्म कल हुआ था।


 हाँ, यह देश ऐसी तकनीक लेकर आया है जो हमारे पास भी नहीं है और आसानी से आ गई है, कुछ भी हो, आराम से लाई है, लेकिन भारत अब मन नहीं रहा, उसने कम नहीं किया, उसने नहीं किया NPCI International Payment Limited को कम किया और क्या है इस कंपनी का मकसद इस कंपनी का मकसद पूरी दुनिया में UPI सिस्टम लागू करना है, 


सबसे पहले भूटान ने एक वाक्य दिया है, इसे भूटान में लागू किया जा रहा है दुबई में लागू किया गया, सिंगापुर में इसे लागू किया जा रहा है और 10 अन्य देशों ने भी अपनी इच्छा व्यक्त की है। वह देश भी ज्यादातर एशिया का है, मलेशिया, थाईलैंड, फिलीपींस, वियतनाम, ये सभी कंपनियां, आप ध्यान दें कि अब अमेरिका हमें प्रवेश नहीं देगा, यूरोप में भी प्रवेश करना आसान हो जाएगा, लेकिन धीरे-धीरे हमें एशियाई देशों में दिलचस्पी हो गई है। देशों, जापान ने भी रुचि दिखाई है। और सबसे महत्वपूर्ण बात जो सबसे दिलचस्प बात है, फ्रांस ने भी इंटर फ्रांस ने दिलचस्पी दिखाई है, वो समझौता हो गया है और वहां लागू हो गया है, फिर हमें यूरोपीय संघ के मंत्री मिलेंगे और फिर हम वहां प्रवेश करेंगे, अमेरिका इसे अनुमति नहीं देगा आसानी से घुस जाओ, लेकिन यूपीआई का बोलबाला हो गया है, तुम इसके दीवाने हो।

  

मां लो कि गूगल ने उस सरकार को पत्र लिखा और कहा कि यूपीआई क्या मस्त सिस्टम है यार अपना भी करो करो गूगल अमेरिका के लिए काम कर रहा है, भारत से सीखो, इससे क्या फायदा होगा, मां लो, फ्रांस ने मान लिया और अगली बार जब आप फ़्रांस जाएं, पेरिस जाएं, वहां आपको अपना ई कन्वर्ट करने की ज़रूरत नहीं है और आपको फ़ॉरेक्स कार्ड ले जाने की ज़रूरत नहीं है, आप सीधे मोबाइल ले सकते हैं और इस तरह के लेन-देन में बैठ सकते हैं जी रूप शाखा, इससे पर्यावरण को भी लाभ होगा।

 

सर, करेंसी नोटों की छपाई और रख-रखाव पर एक साल में 2 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च क्यों? ए इसलिए जाता है कि नोट में क्या होता है, कई बार नोट फट गया, कई बार नोट पर गाल हो गए या नोट पर किसी ने लिख दिया सनम गुप्ता बेवफा है, तो नोट खराब हो जाता है, भाई इन नोटों को बदलने में कई साल लग जाते हैं।

 

अगर यूपीआई हो गया तो इन नोटों की छपाई कम हो जाएगी, फिर कास्टिंग बच जाएगी, फिर वह कास्टिंग कम हो जाएगी, जो तकनीक के विकास में है। 

Visa और MasterCard क्यों जुड़े हुए हैं,

अब आप कहेंगे सर, Visa और MasterCard क्यों जुड़े हुए हैं, यह तो समझ में आता है कि अमेरिका की सरकार के लिए सम्मान की बात हो गई है कि भयानक मास्टर कार्ड जुड़ा हुआ है, इसलिए मैं आपको पुराने दिनों में ले गया हूँ।

 

नए एटीएम खुलने लगे, अगर आपके पास आईसीसी बैंक का एटीएम है, तो भाई, आपको आईसीसी एटीएम जाना होगा, वहां से आप पैसे निकाल सकते हैं, आप एचडीएफसी से नहीं निकाल सकते, ऐसा क्यों होता था, 


आईसीसी एक होने जा रहा है एचडीएफसी भाई से लड़ो। कॉम्पिटिशन आ रहा है, आप टेंशन मत लीजिए, हम आपका सपोर्ट करते हैं, आप हमें थोडा चार्ज दीजिए, आप हमें थोडा पैसा दीजिए, हम आपको यह सुविधा देंगे कि हम पेमेंट वेरिफाई करेंगे और हम पेमेंट कर देंगे, इसलिए हम किसी भी कार्ड में जा सकते हैं इस चीज के लिए लोग जो पैसा कम में लेते हैं उसे एमडीआर मर्चेंट डिस्काउंट रेट कहते हैं, 

यह 1% से लेकर 3% अगर आप शॉपिंग करते हो तो जो कहना है भैया दुकानदार चार्ज करेगा कभी दुकानदार ऊपर से चार्ज करता है जो दुकानदार नहीं लेता। चूंकि उनका 2% चार्ज खत्म हो गया है, तो यह एमडीआर यूपीआई में शून्य है, तो दुकानदार क्या कह रहा है, कार्ड से भुगतान न करें, यूपीआई को मार दें तो 2% खो जाएगा, 


फिर धीरे-धीरे वीजा और मास्टर कार्ड का प्रभुत्व है घट रहा है और भारत में घटता तो ठीक है भैया हमने पूरी दुनिया में जाकर तैयारी की है तो इन दोनों को हमने यहां बनाया है, 


अब आप कहेंगे साहब, यह आपके ऊपर है, आपने बहुत सारी सुविधाएं बनाई हैं। मैं क्रेडिट कार्ड के साथ पहली सुविधा शुरू कर रहा हूं, अब तक ऐसी क्या बात है कि आपकी जो भी यूपीआई आईडी आपके डेबिट कार्ड से जुड़ी है, यानी आपके खाते में जो पैसा पड़ा है, वह उससे ट्रांसफर हो जाता है। हां, इसके जरिए भुगतान होता है, क्रेडिट कार्ड का भुगतान अभी नहीं हुआ है, यह क्रेडिट कार्ड से भी होगा हां,

  यूपीआई लाइट क्या है

यह यूपीआई लाइट है, आप बिना इंटरनेट के भी भुगतान कर सकते हैं, उन्होंने कहा, आप पैसे लेकर घर-घर कैसे जाते हैं , यह कहता है कि यह यूपीआई लाइट है, आप इसमें ₹2000 रखें और आप 200-200 लेनदेन कर सकते हैं। इसलिए मुझे इंटरनेट की भी जरूरत नहीं है। 


तीसरा फीचर जो लॉन्च किया गया था वह UPI 123पे  था। एक गाँव के आदमी ने कहा, मेरे पास फोन नहीं है, मैं यह कैसे कर सकता हूँ? 2020 से बहुत से लोग इसे कम नहीं ले रहे हैं, लेकिन धीरे-धीरे जागरूकता बढ़ेगी, यूपीआई ऑटो पे लोग कम मिलेंगे, ऐसा होता रहेगा। अच्छा है, क्या बुरा नहीं है, क्या दिक्कत है जो हमने इस पहले स्ट्रक्चर के हिसाब से डेवलप किया था, ये नहीं कि हम यूपीआई में ये काम करेंगे, ये उससे कई गुना तेजी से फेल हुआ, इसलिए इस पर बहुत कुछ करना बाकी है बुनियादी ढांचा।

 

और इसकी तकनीक को विकसित करने में UPI को सुचारू होने में कुछ और समय लगेगा। ऐसा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि बैंकों को करी का लाभ नहीं मिल रहा है, सबसे पहले कहानी या किस्सा क्या है? कुछ मिलता है तो प्रचार में अच्छा लगता है कि फैलाओगे तो कमाओगे, अब बैंक के पास नहीं हो रहा, जीरो परसेंट एचडी हो गया, कुछ मिलता है तो क्यों खोलो अब इसे बढ़ावा नहीं दिया जाना चाहिए।

 

अगर इस पर कोई छोटा सा फीचर डाला गया है 10-20 की कमाई या सरकार ने कोई जुगाड़ कर रखा है तो देखिये रॉकेट कैसे बंटा है तो वो UPI का था। इसी तरह की कहानी कोई भी तकनीक भारत में विकसित हो रही है कोई भी व्यवसाय कोई स्टार्टअप कोई अवधारणा सभी राजस्व मॉडल इस website पर चर्चा जारी रहेगी


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