जिंदगी में कभी धोखा नहीं खाओगे। Buddhist Story On Cheat। buddhist story on Mindset
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दोस्तों आज की इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको कुछ ऐसे तरीके बताएंगे जिनसे आप धोखा खाने से खुद को बचा सकते हैं भावनात्मक रूप से कमजोर आदमी का लोग हमेशा फायदा उठाते रहते हैं जो भी इंसान नर्म दिल का होता है यानी कि भावनात्मक रूप से करुणान होता है वह अपनी करुणा बस दूसरों की सहायता तो कर देता है लेकिन बदले में उसे हमेशा धोखा ही मिलता है
तो क्या एक इंसान को भावनात्मक नहीं होना चाहिए
क्या उसे दूसरों पर भरोसा नहीं करना चाहिए
दूसरों की सहायता नहीं करनी चाहिए क्या करुणा वान और संवेदनशील होना गुनाह है
कोई गलती है कोई संवेदनशील आदमी दिल का बहुत अच्छा होता है
आइए जानते हैं इस कहानी के माध्यम से उससे पहले अगर आप भी भगवान बुद्ध को दिल से मानते हैं और उनके सच्चे भक्त हैं तो कहानी को पूरा सुने और कमेंट बॉक्स में नमो बुद्धाय अवश्य लिखें एक बार एक युवक जंगल के वृक्ष पर मुक्के मार रहा था वह बहुत जोर जोर से मुक्के मार रहा था वह अपने मन का गुस्सा निकालने की कोशिश कर रहा था शायद उसको किसी ने धोखा दिया था या फिर उसके साथ बहुत बुरा हुआ था
जिससे वह बहुत ज्यादा परेशान था उसे कहीं भी शांति नहीं मिल रही थी वह लगातार उस वृक्ष पर मुक्का मार रहा था जिससे उसकी उंगलियां लहूलुहान हो चुकी थी उसी जंगल में एक शीतल पानी का झरना था वहां पर एक बौद्ध भिक्षु रोज संध्या के समय स्नान करने आया करते थे यह उनका नित्य का नियम था आज जब वह इस रास्ते से स्नान करने के लिए उस जंगल में आए तो उन्होंने देखा कि युवक जोर-जोर से चीख रहा था और रो रहा था और लगातार उस वृक्ष पर मुक्के मारे जा रहा था
उस युवक के आसपास कोई मौजूद नहीं था इससे उस भिक्षु को उस युवक की चिंता होने लगी उसने सोचा कि अगर मैं इसे ऐसे ही अनदेखा करके चला जाऊं तो कहीं यह आत्महत्या ना कर ले ऐसे विचार आने के बाद भी वह कुछ नहीं बोले वह लगातार उस युवक की तरफ देखे जा रहा थे कुछ देर तक तो उस युवक ने उस भिक्षु को नजरंदाज अज किया
लेकिन कुछ देर बाद उसे अजीब सा लगने लगा उसने सोचा ना तो यह मुझे रोक रहा है और ना ही कुछ कह रहा है यह तो बस मुझे देखे जा रहा है इसका क्या मतलब है बहुत अजीब आदमी है ऐसे ही विचार उस युवक के मन में उठने लगे जब कुछ देर बाद भी वह भिक्षु कुछ नहीं बोला तो युवक ने अचानक से उस भिक्षु से पूछा कि महाशय आप अपने रास्ते क्यों नहीं चले जाते आपको क्या मतलब आप यहां रुककर मुझे देख क्यों रहे हैं
भिक्षु ने बहुत शांत स्वर में कहा कि मैं तुम्हें रोक नहीं रहा हूं तुमसे कुछ कह नहीं रहा हूं तो मुझसे तुम्हें क्या परेशानी है मेरी तरह ही यह वृक्ष पौधे और पक्षी यह सब तुम्हें तो देख ही रहे हैं जब इनसे तुम्हें कोई परेशानी नहीं है तो मुझसे क्यों परेशानी है यह सुनकर और युवक जोर से चीख कर बोला मुझे सबसे परेशानी है मैं सबसे नफरत करता हूं यहां पर सब धोखेबाज गद्दार लोग रहते हैं कोई किसी का नहीं होता इस दुनिया में इस तरह बोलते बोलते वह फूट फूट कर रोने लगा और रोए जा रहा था और भिक्षु उसे देखे जा रहा था
वह भिक्षु उसे चुप कराने की कोशिश भी नहीं कर रहा था यह बात तो उस युवक को और ज्यादा अजीब लगी अब रोना बंद करके उस युवक ने सीधे होकर उस भिक्षु से कहा आप बहुत अजीब आदमी हैं आपके सामने कोई इंसान रो रहा और आप उसे चुप भी नहीं करा सकते आपके मन में बिल्कुल भी संवेदना नहीं है बहुत अजीब और कठोर हृदय वाले साधु हैं
आपको अपने साधु होने पर खेद होना चाहिए और ऐसे ही ना जाने क्या-क्या जली कटी बातें वह युवक उस भिक्षु को सुनाने लगा कुछ देर बाद जब युवक का गुस्सा निकल चुका तब बिच्छू ने बहुत ही शांत स्वर में कहा कि आज मैं तुम्हें कंधा दे सकता हूं तुम्हारे आंसू भी पहुंच सकता हूं लेकिन इससे तुम्हारी समस्या का समाधान नहीं होगा कुछ देर के लिए तुम्हारा मन शांत हो जाएगा उसके बाद फिर वही जिंदगी वही लोग जो तुम्हें आज कंधा देने के लिए भी तुम्हारे पास नहीं है फिर से तुम उसी जिंदगी में लौट जाओगे कोई तुम्हें धोखा देगा
कोई तुम्हारा फायदा उठाए और तुम अपने मन को ऐसे ही तकलीफ पहुंचाते रहोगे तो आंसू पोछने की बजाय तुम्हें मुझसे कुछ ज्ञान की बातें जान लेना चाहिए जिससे तुम्हें जीवन में कोई भी धोखा ना दे सके तुम्हारी अच्छाई का कोई भी फायदा ना उठा सके याद रखना आंसू पोछने वाले तो तुम्हें बहुत मिल जाएंगे
लेकिन ध्यान और सही समझ देने वाला कभी-कभी कोई इंसान मिलता है भिक्षु ने उसे बताया कि मैं पास ही के झरने में स्नान करने के लिए जा रहा हूं बहुत ही शीतल पानी है वहां का अगर तुम चाहो तो तुम भी मेरे साथ च सकते हो यहां पर अकेले परेशान होने से अच्छा है कि तुम झरने के शीतल पानी में स्नान करो जिससे तुम्हारा दिमाग मन मस्तिष्क और तुम्हारा शरीर सब कुछ पवित्र हो जाएगा यह सुनकर वह युवक उस भिक्षु के पीछे पीछे हो लिया जंगल के बीचोबीच रास्ता झरने की तरफ जाता था
जंगल में सन्नाटा छाया हुआ था उनके पैरों तले सूखे पत्तों की चरमरा की आवाज पूरे जंगल में गूंज रही थी आज पूर्णिमा की रात थी और आसमान में चांद अपनी उजली रोशनी उस जंगल में फेंक रहा था उस रोशनी में दोनों उस झरने की तरफ चले जा रहे थे रास्ते में चलते चलते उस युवक ने उस भिक्षु से कहा कि महात्मा आपकी जिंदगी मस्त है आपको किसी चीज की कोई परेशानी नहीं है आपको पता है कि दुनिया में कैसे-कैसे लोग रहते हैं कितने धोखेबाज कितने मक्कार और सबसे महत्त्वपूर्ण बात अपने लोग ही धोखा देते हैं जिनसे हम प्रेम करते हैं जिनको हम अपना मानते हैं जब उन्हीं से धोखा मिलता है तो कैसा महसूस होता है कभी-कभी तो लगता है कि भोले और दयालु लोगों के लिए यह दुनिया नहीं बनी है यह धोखेबाज के लिए है मक्कार के लिए हैं वहीं यहां पर फलते फूलते हैं वही आनंद से जीते हैं और हमारे जैसे लोग जो दूसरों की सहायता करते हैं दूसरों को अपना मानते हैं वह हमेशा जीवन भर दुख में रहते हैं
यही जीवन की सत्यता है और यही संसार है जिसमें हमें रोज घुट घुट कर मरना होता है गुरुदेव आपने सही किया ऐसी जिंदगी को त्याग दिया पीछे रहने दिया अब बस अपने में मस्त किसी से कोई परेशानी नहीं है किसी की कोई चिंता नहीं मैं भी सोचता हूं कि मैं भी सन्यास ले लूं यह सुनकर उस भिक्षु ने कहा कि तुम्हें क्या लगता है सन्यासी जीवन बहुत आसान होता है भिक्षु ने बहुत शांत स्वर में कहा कि तुम्हें तो दो वक्त की रोटी तो शांति से मिल जाती है हमें तो कभी-कभी वह भी नसीब नहीं होती अगर भिक्षा मिल जाती है तो हम खा लेते हैं वरना हमें तो भूखा ही सोना पड़ी देता है यही हमारा सन्यासी जीवन है हमें हमेशा नीचे सोना रहता है सिर्फ एक लंगोट में रहना होता है चाहे कैसा भी मौसम क्यों ना हो तो यह सब तुम्हें आसान लगता है तो तुम भी सन्यासी बन जाओ युवक ने कहा कि आप कहते तो ठीक ही है संघर्ष तो दोनों तरफ है सांसारिक जीवन में भी और सन्यासी जीवन में भी वैसे सांसारिक जीवन भी अच्छा है
लेकिन तब तक जब तक घर परिवार में सुख शांति बनी रहे धोखा ना मिले हमारे लोग हमारा फायदा ना उठाएं हमसे झूठ ना बोले हमें धोखा ना दे तब तो जीवन जीने का आनंद होता वरना जीवन नर्क हो जाता है भिक्षु ने कहा सन्यास अपने मन से लिया जाता है जब हमारा मन कहता है कि हमें सन्यास के मार्ग पर सफलता हासिल करनी है आगे जाना है तो ही सन्यासी जीवन सफल हो पाता है लेकिन तुम अपने घर से परेशान होकर दूसरे लोगों से परेशान होकर सन्यासी बनना चाहते हो तो तुम्हारा सन्यासी जीवन भी कभी सफल नहीं होगा इससे अच्छा तो तुम सांसारिक जीवन में अगर कुछ तरीके कुछ नियम अपना हो तो दूसरे लोग तुम्हें धोखा नहीं दे पाएंगे
सबसे पहले तो यह समझो कि धोखा उन्हें ही मिलता है जो भावनात्मक रूप से कमजोर होते हैं जिनका दिल जल्दी पिघल जाता है जो दूसरों को दुख में नहीं देख पाते ऐसे लोगों के साथ धोखे होने की संभावना ज्यादा होती है
क्योंकि कोई भी आदमी अपनी परेशानी बताकर अपने आप को दुख में बताकर तुम्हारा फायदा उठा सकता है क्या पता वह झूठ बोल रहा हो वह दुखी होने का अभिनय कर रहा हो लेकिन आपको तो सच ही लगेगा और उसके कुछ समय बाद आपको पता चलता है कि आपके साथ धोखा हो गया उसके बाद आपका मन अंदर से टूट जाता है इसीलिए सबसे पहली बात ध्यान रखना कि किसी भी व्यक्ति को यह एहसास मत होने दो कि तुम भावनात्मक रूप से कमजोर हो अंदर से तुम्हारा दिल नरम है अगर उन्हें यह कमजोरी आपकी पता चल गई तो वह कोई ना कोई जाल रचकर आपका फायदा उठाने की जरूर कोशिश करेंगे
चाहे आप अंदर से संवेदनशील हो दूसरों की मदद करने वाले हो लेकिन किसी को एहसास मत होने दो ऊपर से कठोर बने रहो जब लोगों को लगेगा कि इससे कुछ बोलने का फायदा ही नहीं है यह आदमी कठोर है नहीं पिघले का तो खुद खुद वह लोग जो झूठे हैं वह आपके पास आएंगे ही नहीं वह उन्हें चुनेंगे जो उनके आसान शिकार होंगे दूसरी बात यह है कि हम बहुत जल्दी दूसरों पर विश्वास कर लेते हैं और हमारी जल्दी विश्वास करने की आदत ही हमें हानि पहुंचाती है दो दिन तुम्हें किसी से मिले हुए नहीं होते हैं और तुम एक दूसरे के हो जाते हो एक दूसरे पर पूरा भरोसा करने लग जाते हो और यह भरोसा तीसरे दिन टूट भी जाता है और फिर तुम्हें धोखा मिलता है और फिर तुम परेशान होते हो
इसीलिए समय दो किसी भी चीज को किसी भी रिश्ते को आगे ले जाने के लिए समय की जरूरत होती है समय के साथ तुम्हें सामने वाले इंसान की अच्छाई और बुराई पता चलती है तब तुम्हें पूर्ण रूप से पता चलता है कि इंसान वास्तव में कैसा है अच्छा है या बुरा है और वह कुछ समय देने के बाद ही होता है इसीलिए जल्दी किसी पर विश्वास मत करो तीसरा तरीका समझ ने के लिए तुम्हें ऐसे लोगों को समझना होगा जो दूसरों की चापलूसी करते रहते हैं कुछ लोगों की आदत होती है चापलूसी करने की आपके सामने आपकी तारीफ करेंगे या आपके बारे में अच्छा-अच्छा बोलेंगे और आपको लगेगा कि यह इंसान कितने अच्छे हैं मुझसे कितना प्यार करते हैं लेकिन वास्तव में उनकी वह चापलूसी एक जाल होती है ताकि वह आपका दिल जीत सके और उनको चापलूसी करने का मौका तभी मिलता है जब आप दिखावा करते हैं
अगर आप उनकी चापलूसी से प्रभावित ही नहीं होंगे तो कुछ समय बाद वह चापलूसी करना बंद कर देंगे इसीलिए किसी के सामने दिखावा मत करो वरना आप तो आकर्षण के केंद्र बन जाते हो लोगों को लगता है कि शायद इसके पास बहुत ज्यादा धन संपदा है इसीलिए इतना दिखावा कर रहा है और इसी वजह से जो लोग आपका फायदा उठाना चाहेंगे वह आपके करीब आने की कोशिश करेंगे आपसे चापलूसी करने की कोशिश करेंगे
अगला नियम बताते हुए भिक्षु ने झरने की तरफ इशारा किया वह झरने के पास पहुंच चुके थे युवक को भी एहसास हो चुका था क्योंकि वहां पर ठंडी-ठंडी हवा चल रही थी झरने की तरफ जाते हुए भिक्षु ने कहा कि सांसारिक जीवन में एक बात समझने की यह होती है कि हम जिसकी सहायता कर रहे हैं चाहे किसी भी रूप में धन से शारीरिक रूप से या जिस भी अवस्था में हम किसी की सहायता कर रहे हैं तो हमें यह ख्याल रखना चाहिए कि सामने वाला वापस कभी भविष्य में हमारी सहायता करने योग्य है कि नहीं है
अगर किसी को पैसा उधार दे रहे हो तो यह समझो कि उसके पास आय का कोई साधन है कि नहीं है कल भविष्य में वह तुम्हें वापस कर पाएगा कि नहीं कर पाएगा अगर वह नहीं करेगा तो तुम्हें तकलीफ होगी तुम्हें दुख होगा ऐसे तो इंसान करुणा बस भिखारियों को भीख देता है लेकिन वह गलत नहीं है क्योंकि जो भी पैसा अपने सामने वाले को दिया है उससे आपके ऊपर कोई ज्यादा प्रभाव नहीं डालेगा अगर वह आपको वापस भी नहीं लौटाए तो अगर किसी ऐसे इंसान को पैसा देना है जो कभी वापस नहीं लौटा पाएगा तो उतना ही दे चाहिए जिससे तुम्हारे ऊपर ज्यादा दबाव ना बने अगर वह वापस भी ना कर सके तो तुम्हें दुख ना पहुंचे अब तक वह दोनों झरने पर पहुंच चुके थे दोनों ने अपने वस्त्र उतारकर उस झरने के शीतल पानी में कूद गए पानी ठंडा था उन दोनों की सारी थकान और उदासी पल भर में ही दूर हो गई स्नान कर लेने के बाद दोनों उस झरने के सामने एक वृक्ष के नीचे बैठकर बातें करने लगे भिक्षु ने उसे आगे समझाते हुए कहा कि शुरुआत में लोगों को नजरअंदाज करना सीखो जब तुम किसी को शुरुआत में नजरअंदाज करते हो तो जो भी लोग किसी लालच की वजह से तुम्हारे पास चिपक रहे थे उनकी छटनी हो जाएगी जब तुम उनको नजरअंदाज करोगे तब एक दो बार लोग तुम्हारे पास आने की कोशिश करेंगे उसके बाद वह तुमसे दूरियां बना लेंगे और जो आदमी तुम्हारी इंसानियत तुम्हारी अच्छाई देखकर तुम्हारे पास आएगा
वह नजरअंदाज करने के बावजूद भी तुम्हारे करीब ही बना रहेगा और यही तो एक सच्चे इंसान की पहचान होती है जो हमारे अपने होते हैं उनसे हम तकरार भी कर लेते हैं कला भी कर लेते हैं उसके बावजूद भी वह हमारी बातों का बुरा नहीं मानते हैं चाहे कुछ ही समय के लिए वह हमसे नाराज रहे लेकिन कुछ समय बाद फिर से हम एक हो जाते हैं और यही तो घर परिवार का मतलब होता है यही तो अपनों का मतलब होता है इसीलिए शुरुआत में अनजान लोगों को नजरअंदाज करना सीखो इग्नोर करना सीखो ताकि धोखेबाज मक्कार लोग तुम्हारे करीब ही ना आ पाए अपने इस वार्तालाप को खत्म करते हुए
भिक्षु ने अपनी आखिरी और पांच पाचवी बात बताते हुए कहा कि यह आखिरी सीख सबसे ज्यादा महत्त्वपूर्ण है
सब कुछ होने बाद भी तुम्हें धोखे मिल सकते हैं लेकिन तुम अगर अपने आंख और कान और अपना दिमाग खोलकर रखते हो अगर तुम होश में रहोगे ध्यान करोगे तो तुम्हें इंसान की आंखें देखते ही समझ में आ जाएगा कि उसे तुमसे क्या चाहिए तुम उसकी इच्छा और उसका स्वभाव उसकी आंखों में ही देख सकते हो लोगों की आंखों में उनकी वाणी में उनके स्वभाव में उनका सब कुछ दिखाई देता है बस हम ही अपनी आंखें मुंह कर रहते हैं दूसरे लोगों से जानो उसके रिश्तेदारों से जानो उसके परिवार वालों से जानो कि वह इंसान कैसा है
दूसरों के साथ उसका व्यवहार कैसा है उसकी जांच करो तब किसी पर विश्वास करो ऐसे ही किसी पर विश्वास मत कर लेना अगर तुम किसी के साथ लंबे समय तक भरोसा करना चाहते हो किसी के साथ कोई संबंध बनाना चाहते हो और कोई दोस्ती करना चाहते हो या किसी की मदद करना चाहते हो तो इन सभी परिस्थितियों के बारे में तुम्हें जरूर पता होना चाहिए कि दूसरे लोग उस इंसान के बारे में क्या सोच रखते हैं इसके बाद तुम जीवन में कभी भी धोखा नहीं खाओगे और तुम्हें कभी भी धोखे की वजह से पछताना नहीं होगा इसी तरह की बातें करते हुए भिक्षु और वह युवक दोनों जंगल से बाहर आ गए और अपने-अपने घर को चले गए दोस्तों इसी तरह और भी मोटिवेशनल पोस्ट देखने के लिए आप हमारे चैनल को लाइक करें शेयर करें और बेल नोटिफिकेशन को ऑल पर सेलेक्ट जरूर करें धन्यवाद
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