अकाल मृत्यु क्या है। गरुड़ पुराण के अनुसार जन्म और मृत्यु क्या है। मनुष्यों को अकाल मृत्यु क्यों आती है। अकाल मृत्यु से बचने के लिए मंत्र
हैलो! दोस्तों स्वागत मेरी वेबसाइट TechTalk sandeep में। और , आज के इस पोस्ट में हम आपके साथ शेयर करने वाला हूँ कि अकाल मृत्यु के बाद आत्मा कहां जाती है" "अकाल मृत्यु कैसे होती है"
"अकाल मृत्यु के संकेत" "अकाल मृत्यु कितने प्रकार की होती है?" "अकाल मृत्यु के बाद क्या होता है" क्या आप भी आश्चर्य करते हैं कि मृत्यु क्या है?, अकाल मृत्यु क्या है?, जब यह हमारे साथ हो रहा है, तो फिर मृत्यु के बाद क्या होगा? कुछ सवाल हमारे दिमाग में आते हैं, जिनका उत्तर देना बहुत कठिन होता है। लेकिन आज के इस पोस्ट में आप बने रहे हैं यंत तक क्योंकी हम आपको बताने वाले हैं की अकाल मृत्यु क्यों होती है? और उसके बाद उसकी आत्मा का क्या होता है। धरती पर जिस प्राणी में जन्म लिया है उसकी मौत ही तय। यह एक ऐसा सच है जिसे बदला नहीं जा सकता। हम सभी जानते हैं कि पृथ्वी लोक में प्राणियों की संख्या इतनी है हर दिन किसी ना किसी की मृत्यु होती रहती हैं। तो चलिए जानतेकि हैं अकाल मृत्यु का राज क्या है अगर आप भी जानने की इच्छुक है तो इस पोस्ट को पूरा पढ़ें ।
गरुड़ पुराण के अनुसार जन्म और मृत्यु क्या है।
हेलो दोस्तों आज इस पोस्ट में अकाल मृत्यु क्या है गरुड़ पुराण के अनुसार जन्म और मृत्यु क्या है। इसके बारे में बात करने वाले हूं । गरुड़ पुराण में मनुष्य के जन्म और मृत्यु के बारे में विस्तार से बताया गया है। गरुड़ पुराण के अनुसार मृत्यु ही काल अर्थात समय है। और जब मृत्यु का समय नजदीक आता है तो जीव आत्मा से प्राण शरीर से अलग हो जाता है। प्रत्येक मनुष्य के जन्म और मृत्यु का समय निश्चित होता है जिसे पूरा करने के बाद ही मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है और वह पुनः शरीर धारण करता है। पर कई बार मनुष्य की बहुत कम उम्र में या किसी बीमारी या दुर्घटना के कारण मृत्यु हो जाती है जिसे हम अकाल मृत्यु कहते हैं।
अकाल मृत्यु क्या है। मनुष्यों को अकाल मृत्यु क्यों आती है।
चलिए दोस्तों बात कर लेते हैं कि अकाल मृत्यु क्या है। मनुष्यों को अकाल मृत्यु क्यों आती है। इसके बारे में भगवान विष्णु ने गरुड़ पुराण में बताया है कि अकाल मृत्यु क्यों आती है चली समझती हैं गरुड़ पुराण के अनुसार मनुष्य के जीवन का सात चक्र निश्चित है। अगर कोई मनुष्य इस चक्र को पूरा नहीं करता है। अर्थात अकाल मृत्यु को प्राप्त हो जाता है तो उसे मृत्यु के बाद भी कई प्रकार के कष्ट भोगने पड़ते हैं। इसलिए सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि अकाल मृत्यु क्या होती है। अर्थात किस प्रकार की मृत्यु को गरुड़ पुराण में अकाल मृत्यु कहा गया है की गरुड़ पुराण में बताया गया है कि यदि कोई प्राणी भूख से पीड़ित होकर मर जाता है। या किसी परकार के हिंसक प्राणी द्वारा मृत्यु हुआ हो या फिर गले में फांसी का फंदा लगाने से जिसकी मृत्यु हुई हो अथवा जो बीस, अग्नि आदि से मृत्यु को प्राप्त हो जाता है अथवा जिसकी मृत्यु जल में डूबने से हुई हो यह जो सर्प के काटने से मिल। को प्राप्त हुआ हो या जिसक मृत्यु किसी प्रकार की दुर्घटना के कारण मृत्यु हो जाती है। ऐसा प्राणी अकाल मृत्यु को प्राप्त होता है। इसके साथ ही गरुड़ पुराण में आत्महत्या को सबसे गिरनी मृत्यु बताया गया है। इतना ही नहीं, भगवान विष्णु ने आत्महत्या को परमात्मा का अपमान करने के समान बताया है।
मृत्यु के कितने दिन बाद जन्म मिलता है?
दोस्तो जान लेती है। की मृत्यु के कितने दिन बाद जन्म मिलता है? या अकाल मृत्यु के बाद बाद जन्म मिलता है? इसके बारे मे गरुड़ पुराण में बताया गया है कि जिस मनुष्य अथवा प्राणी की मृत्यु प्राकृतिक होती है वह 3,10,13 अथवा 40 दिन में दूसरा शरीर प्राप्त कर लेता है। किंतु जो व्यक्ति आत्महत्या करता है उस प्राणी की जीवात्मा पृथ्वी योग में जब तक मैं प्रकृति के द्वारा निर्धारित अपनी जीवन चक्र को पूरा नहीं कर लेता हैं। तब तक उस व्यक्ति को पुनः शरीर नही मिलती हैं।
जब कि अकाल मृत्यु, व्यक्ति, भूत प्रेत पिशाच, कुष्मांडा, ब्रह्मराक्षस, बेताल और छत्रपाल योनि में भटकता रहता है। उनकी आत्मा को आसानी से शांति नहीं मिलती। आपको बता दें कि अकाल मृत्यु में आत्महत्या को सबसे निचले दर्जे पर रखा जाता है।
अकाल मृत्यु के बाद आत्मा कहां जाती है
अकाल मृत्यु के बाद जीव आत्मा को नहीं नर्क लोक की प्राप्ति होती है और न हीं स्वर्ग लोक की प्राप्ति होती है और ना ही नाग लोक की, आत्मा की समस्या को अगाती कहा जाता है। इसलिए गरुड़ पुराण में बताया गया है कि आत्महत्या करने वाली आत्मा अकाल मृत्यु को प्राप्त होने वाली सबसे कष्ट दाई अवस्था में पहुंच जाती है और अकाल मृत्यु को प्राप्त करने वाली आत्मा अपनी तमाम इच्छाएं जैसे कि भूख, प्यास, संभोग, सुख, त्याग, क्रोध दोस्त वासना की पूर्ति के लिए अंधकार में तब तक भटकती रहती है जब तक कि उसका परमात्मा द्वारा निर्धारित जीवन चक्र पूरा नहीं हो जाता। अब सवाल उठता है कि किसी भी प्राणी की अकाल मृत्यु क्यों हो जाती है?
गरुड़ पुराण के अनुसार निर्धारित मृत्यु कब होती है।
तो उसके बारे में भी गरुड़ पुराण में बताया गया है जिसके अनुसार बिधता के द्वारा निर्धारित किया गया मृत्यु जब प्राणी के पास आती है तो शीघ्र ही उसे लेकर मृत्यु लोक में चली जाती है। प्राचीन काल से ही वेद का यह कथन है कि मनुष्य 100 वर्ष तक जीवित रहता है।
अकाल मृत्यु क्यों हो जाती है?
अकाल मृत्यु उस व्यक्ति को होते हैं जो व्यक्ति बुरे कर्म करता है, वह शीघ्र ही भ्रष्ट हो जाता है। जो व्यक्ति वेदों का ज्ञान ना होने के कारण वंश, परंपरा और सदाचार का पालन नहीं करता है और जो आलस की बस कर्म का परित्याग कर देता है।
और जो जिस कितनी घर में भोजन कर लेता है, ऐसे महा दोषों से मनुष्य की आयु कम हो जाती है। श्रद्धा इन अपवित्र नास्तिक मंगल का परित्याग करने वाले दोहा असत्य ब्राह्मण की मृत्यु अकाल में ही यमलोक ले जाई जाती है। ऐसे दोषी ब्राह्मण और क्षत्रिय मृत्यु के वशीभूत हो जाते हैं।
अकाल मृत्यु से बचने के लिए मंत्र
भगवान विष्णु बताते हैं कि से मनुष्य परिजनों को नदी या तालाब में तर्पण करना चाहिए, साथ ही मृत आत्मा की इच्छा की पूर्ति के लिए पिंडदान और दान पुण्य जैसे सत्कर्म करने चाहिए ताकि उनकी आत्मा को जल्द ही मुक्ति मिल सके। यह सत्कर्म कम से कम 3 से 4 वर्षों तक करना चाहिए। तब जाकर कहीं अकाल मृत आत्मा को मुक्ति मिल पाती है और उनके नए जीवन की शुरुआत होती है।
दोस्तों! हमने आपको बताया अकाल मृत्यु के बारे में ऐसे ही और तथ्यों को जानने के लिए आप TechTalk sandeep को सब्सक्राइब कर लीजिए और अगर आपको यह पोस्ट अच्छा लगा है तो अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर कीजिए
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