ऐसे पढ़ो की लोग पागल कहने लगे - Hard Study Motivational
इतना पढ़ने के लोग पागल होकर कहने लगे गर्मी का मौसम ना पंखा, ना कूलर, ना एसी बिछड़ा हुआ गांव जिसे शहर में चार लोग भी नहीं जानते। सड़क के चार कदम चलना भी मुश्किल हो सकता है। परिवार की हालत कुछ ऐसी की साला खुद कुशी करने का मन करे। कमाने वाला एक पिता और वह छोटी सी कमाई करने वाले तीन औलादें और मां। रातोरात रही थी। पूरा गांव एक दम गर्मी से इस करवट से परेशान है कि करवट बस करवटें अपनी नींद पूरी कर रहा था। रोशनी तो एक बत्ती का होना भी मुश्किल था, लेकिन तभी...
उसी गांव के एक झोंपड़े के घर में एक छोटी सी लालटेन जल रही थी जिससे कुछ तीन मीटर की दूरी पर एक जवान लड़का पसीने से भीगा अपनी किताबों को रटे जा रहा था। पसीना वो से पूरा भी हो गया था, ऐसा लग रहा था कि पसीने से पूरा भीग चुका था। लेकिन फिर भी उसे देखकर जरा सा भी ऐसा नहीं लग रहा था, की उसकी गर्मी लग रही है या अंधेरा और प्यास उसे परेशान कर रही है। वो बस सामान्य जा रहा था वो किताबों में कुछ इस कदर खोया था कि उसे बस पढ़ना ही समझ आ रहा था। उससे आग के गोले जैसी गर्मी और पसीने से कोई फर्क नहीं पड़ रहा था। रात के बारह बजे..
फिर एक... फिर दो... और अब तीन बजट थे...! ना जाने वो लड़का कब से पढ़ रहा था लेकिन अब तक पढ़ रहा था। तभी अचानक से कमरे में अँधेरा छा जाता है। एक दम से घुटना अँधेरा पूरे कमरे को अपनी चपेट में ले लेता है। दरअसल वो लालटेन अब बज चुकी थी। उस लड़के के मन में क्या चल रहा होगा कि आप क्या बता सकते हैं ? उस काम उस लड़के के जुबान से जो बात निकली ना, कसम से मजा आ जाएगा। वी
ओ लड़का बोला... उफ्फ यार ! काश थोड़ा और पढ़ता है। अब लगता है... क्या तुम में से कोई इतना पागल है पढ़ने को.. उस लड़के को सब उस गांव में पागल कह रहे थे। गांव वालो से पता चला कि वो लड़का कब पढ़ रहा था फाइबर लेकीन कब तक लेख पढ़ें, कोई नहीं बता सकता था बल्कि उसे खुद की याद नहीं रहती थी कि वो कितनी देर से पढ़ रहा है। फिर भी ऐसे किस्से बड़े कम ही सुनते हैं और देखने को मिलते हैं
जो भी मिलते हैं किसी से दिल में आग लगा देते हैं...! इतना पढ़ने वाला लड़का पता है, आगे क्या करता है.. 2012 बैच का UPSC Crack करता है और एक बहुत ही बड़ा आदमी बनता है। जब इतनी आग होगी सीने में, तभी तो लुत्फ उठाओगे जंगल में.! मै कहता हूं, उस स्थिति से लड़ता हूं, संघर्ष से टकराता हूं जब एक गरीब और अनाथ लड़का, बड़े सपने को पूरा कर सकता है।
ओ फिर तुम क्यों नहीं...?
अगर दिल में आग लगेगी ना, तो Exam Form के वो पांच सौ रुपए नहीं रहने वाले। उन गरीब लड़कियों के पास फॉर्म भरने तक के पैसे नहीं होते हैं, लेकिन दिल में आग लग जाती है और उसी तरह उन्हें ताज दिलवाती है। पढ़ने के लिए बनी नहीं, पढ़ने के लिए बनी रहती है, पढ़ने के लिए बनी रहती है। अगर दो साल भी खुद को दे दिए ना, जहां तुम्हारे लिए दिन-रात, सुबह-शाम, अँधेरा-उजाला कुछ मायने नहीं रखता। मायने रखता हूं तो सिर्फ एक चीज की बस बहुत हो गया..
अब सिर्फ और सिर्फ पढ़ना है। लेकिन कुछ भी हो जाए बस रीडिंग है। वैसे इसके लिए खुद को निकालना नहीं है और कोई जबरदस्ती नहीं है बस अपने दिमाग को और अपने मन को समझने के लिए पढ़ने के लिए, पढ़ रहा है तो बस इसलिए क्योंकि ये मेरा हक है, मेरा ख्याल है, कल मेरा हथियार लेना और इसी से मेरा कल चमकेगा। अगर दिमाग में चार पैसे का ज्ञान नहीं होगा, तो अपने खुद के बच्चे को भी इतना नहीं होगा।
अगर आज न पढ़ें तो कल खेत खलियान सब बिक जाएंगे, और चमक पेट जिंदगी कटना बहुत मुश्किल है। बार बार कह रहा हूं, सब छोड़ दो। सब बातों को बांधो ...! दिलो दिमाग में बस एक बात साफ करें अब मजा लेना है बात का... इसलिए पढ़ने की साला लोगों को छिपाने लगे कि कहीं पागल तो नहीं हो गए ये... तुम ये तो आसानी से है, की यही मनोरंजक काम ने लाखों घर बसाए हैं, लाखों जिंदगियां बनाई हैं, लाखों लोगो की किस्मत चमक रही है। अगर उस फुर्ती पर चौकी ही सिर्फ एक मात्र मकसद होगा ना तो शपथ से वो झक मारे जाएंगे। लेकिन उन सब से पहले, उस उजाले के कल से पहले आज आपका पढ़ना होगा..!
इतना पढ़ना होगा, इतना पढ़ना होगा कि पुस्तकें अभी भी लगी रहें लेकिन चौकी हौसला ना देखें। बदल जाएगा या, बस दो से पांच दिन भी दिमाग कुछ पढ़ने लगा ना तो फिर दुखी आत्मा या निकली आत्मा नहीं रहोगे, बल्कि बवाल आदमी बनकर निकल जाएंगे।
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